Thursday, October 8, 2009

हिन्दी प जौन घात है अंगरेजियै मा है। (अवधी ) - अमिताभ त्रिपाठी ’अमित’

 यह रचना लखनऊ के आसपास तथा कुछ हद तक राय बरेली सलवन आदि में बोली जाती है| हिंदी और उसकी स्थिति पर इधर काफी चर्चा हो रही थी तो एक हास्य-व्यंग्य रचना बन गई| आप सब के सम्मुख है| बोली के प्रति मैं भी बहुत आश्वस्त नहीं हूँ| जहाँ त्रुटियां लगें इंगित करियेगा और सुझाव दे सकें तो और भी अच्छा होगा| आदरणीया शकुन्तला जी के सुझाव पर कुछ संशोधन के साथ यह गीत पुनः प्रस्तुत है।

-अमित 

हिन्दी क सगल बात तौ अंगरेजियै मा है।
हिन्दी प ज‍उन घात है  अंगरेजियै मा है।

उइ कहिन कि आयौ जरूर आज साँझि मां
हिन्दी क कउनो गीत भी ल‍इ आयौ साथि मां
"बस खा़स-ख़ास लोग हैं कम भीड़-भाड़ है
कुछ पत्र-पुष्प का भी साथ में जुगाड़ है"
एतना बताइ न्यौता उइ दइके सटक लिहिन
देखिन त लिखा ओहिमा सब अंगरेजियै मा है।

लड़िक‍उनू क जब नाम लिखावै गयेन सहर
पूँछिन कि "घर में बोलते हैं आप किस तरह"
हम कहा कि यू का सवाल करिन है हजूर
मनई कि नाईं ’बोलते हैं’ अ‍उर किस तरह
उइ कहिन कि चच्चा त मदरसा में फूटि ल्यौ
काहे से इहाँ काम सब अंगरेजियै मा है।

घर-घर में जब संचरि गवा कम्पूटरी बोखार
सोचिन कि चलो राम सीखि लेइ इहू का
टीवी अ रेडियो त चलाये  हजार हन
कई लेई क‍उनो मास्टर दुई रोज किहू का
सुनि कै हमारि बात उहाँ क‍उसलर कहिस
चाचा इहाँ कमांड सब अंगरेजियै मा है।


हिन्दी क सगल बात तौ अंगरेजियै मा है।
हिन्दी प ज‍उन घात है  अंगरेजियै मा है।


अमिताभ त्रिपाठी 'अमित'

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